Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -22-Aug-2022 - कविता

कविता में अपनी रस स्वाद कहां से लाऊं,
कलम चलती नहीं आज मेरी अपनी,
बात ये उस सितमगर को कैसे बताऊं।
 लिखना तो कोई बच्चों का खेल नहीं हैं,
 बिना भावों के मैं इसे खिलौना कैसे बनाऊं।
 प्यार तो जालिम से मैंने किया बहुत हैं,
 दर्द उसका ही दिया उसे कैसे दिखाऊं।
कविता में अपनी रस स्वाद कहां से लाऊं।

 शायरों की महफिल में आ तो गई हूं,
डरती हूं आज कविता अपनी कैसी सुनाऊं।
विद्वानों की इस महफिल में बहुत हैं बैठें,
नाम अपना इन सबके बीच में कैसे कमाऊं।
शोहरत की तो नहीं चाहत कभी थी मेरी,
पर अब बेनाम भी मैं जी कैसे जाऊं।
कविता में अपनी रस स्वाद कहां से लाऊं।

जिंदगी अपनी मैंने कविताओं को बनाया,
जज्बातों को ये एहसास मैं कैसे कराऊं।
हार या जीत का तो कोई सवाल नहीं हैं,
अपने मन को यह गणित पर कैसे समझाऊं।
जिन विधाओं का मुझे यहां ज्ञान नहीं हैं,
तुम्हीं बोलो लेखनी उन पर मैं कैसे चलाऊं।
कविता में अपनी रस स्वाद कहां से लाऊं,
कविता में अपनी रस स्वाद कहां से लाऊं।।


#दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)



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13 Comments

Chetna swrnkar

24-Aug-2022 12:18 PM

Bahut achhi rachana

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Ajay Tiwari

23-Aug-2022 09:45 PM

Very nice

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Mithi . S

23-Aug-2022 01:28 PM

Behtarin rachana

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